पहले रोजगार के लिए इंतजार और अब सीएम के लिए इंतजार

पहले रोजगार के लिए इंतजार और अब सीएम के लिए इंतजार

पहले रोजगार के लिए इंतजार और अब सीएम के लिए इंतजार

रतलाम कलेक्टर कार्यालय में मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के कार्यक्रम में रतलाम जिले के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए कलेक्टर कार्यालय में दिन के 4 बजे बुलाया गया जिसमे सभी अभ्यर्थियों के आने के बाद उन्हें तकरीबन ढाई से 3 घंटे तक इंतजार कराया गया शाम 7:30 बजे तक प्रदेश के मुखिया का इंतेजार करते रहे लेकिन प्रदेश के मुखिया को छोड़िए साहब जिले के मुखिया कलेक्टर ही 4 बजे से 7:30 बजे तक कार्यक्रम से नदारत रहे

वहीं कई अभ्यर्थी इंतजार करते-करते अपने घर की ओर प्रस्थान कर गए यह हाल बता रहा ही की प्रदेश सरकार अभ्यर्थियों को रोजगार दे रही है या प्रचार कर रही है मुख्यमंत्री सीखो कमाओ के तहत अभ्यर्थियों को रोजगार की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए थी जहां अभ्यर्थियों को बताए जाना चाहिए था की किस तरीके से आप अपने आप को कुशल बनाए और कमाए लेकिन मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के कार्यक्रम में क्या सिखाया गया ये सभी विभाग के कर्मचारी बा खूबी से जानते है जितना समय अभ्यर्थियों को मनोरंजन में कराया गया उतना ही समय एक बेहतर ट्रेनिंग प्रोग्राम कर अभ्यर्थियों को उसे समय को यूटिलाइज किया जा सकता था लेकिन साहब प्रदेश के मुखिया को तो अपनी वाहवाही चाहिए थी यह वाहवाही ऐसी है जो की प्रदेश के मुखिया की खामियों को ही खत्म करने वाली है क्योंकि एक तरफ जहां बेरोजगारी प्रदेश की बड़ी समस्या है तो वहां मुख्यमंत्री स्वयं इस कार्यक्रम के माध्यम से यह स्वीकार कर रहे हैं कि हां प्रदेश के अंदर बेरोजगार अभियार्थी हैं यह कार्यक्रम अपने आप में यह साबित कर देता है कि प्रदेश में कितनी बेरोजगारी हो चुकी हैं साथ ही साथ प्रदेश के मुखिया को भी यह सोचना चाहिए की यह जो कुशलता का प्रोग्राम उनके द्वारा आयोजित किया जा रहा है आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी यह जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्रदेश के कितने शिक्षण संस्थान है जो अपने कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं जिनके कारण अभ्यर्थी शिक्षित होने के बावजूद भी अपने आप को अशिक्षित व अकुशल समझते हैं यही इसकी मुख्य जड़ है प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस मुख्य जड़ पर विचार विमर्श कर इसे खत्म करना चाहिए दिन प्रतिदिन नए-नए कॉलेज स्कूल खुलते जा रहे हैं अगर इन सभी स्कूल और कॉलेज की जांच कराई जाए तो बहुत से स्कूल कॉलेजों में तो नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है यहां आखिर क्यों हो रहा है कैसे हो रहा है इन सब पर अंकुश लगाना चाहिए शिक्षण संस्थानों में एक क्वालिटी मेंटेन करना चाहिए जिससे कि एजुकेशन के मुख्य उद्देश्य कुशलता की प्राप्ती की जा सके।