रतलाम में महाशतावधान का ऐतिहासिक आयोजन: मुनि श्री चंद्रप्रभ चंद्रसागरजी की अद्भुत स्मरण और अध्यात्म शक्ति का प्रदर्शन

News Right रतलाम :- कई वर्षों बाद रतलाम शहर महाशतावधान के ऐतिहासिक और अद्भुत आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। इस आयोजन में मुनि श्री चंद्रप्रभ चंद्रसागरजी महाराज की विलक्षण स्मरण शक्ति और अध्यात्म के चमत्कार को देखने के लिए न केवल रतलाम जिले से, बल्कि पूरे भारत से हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे। इस विशेष आयोजन का केंद्र चंपा विहार रहेगा, जहां 20 अक्टूबर को एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
प्रेस वार्ता में आयोजन की जानकारी
इस कार्यक्रम की जानकारी सोमवार को श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्री संघ और गुजराती उपाश्रय की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता में दी गई। मुनि श्री अजीत चंद्र सागरजी महाराज ने बताया कि यह कार्यक्रम आचार्य श्री नयनचंद्र सागर सुरीश्वरजी महाराज साहब की निश्रा में संपन्न होगा। उन्होंने इसे मानव सभ्यता के लिए एक नई आशा की किरण बताया।
आचार्य श्री नयनचंद्र सागर महाराज के 10 से अधिक शिष्य शतावधानी, महाशतावधानी, अर्धसहस्त्रावधानी, और सहस्त्रावधानी जैसे विशेष दर्जों से सुशोभित हैं। उनकी सरस्वती साधना के माध्यम से अब तक 50,000 से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हो चुके हैं।
क्या है महाशतावधान?
महाशतावधान एक ऐसी विद्या है जिसमें व्यक्ति एक साथ कई चीजों को सुनकर न केवल याद रख सकता है बल्कि उन्हें क्रमबद्ध रूप से दोहरा भी सकता है। मुनि श्री चंद्रप्रभ चंद्रसागर महाराज इस आयोजन में अपने स्मरण कौशल का अद्भुत प्रदर्शन करेंगे। हजारों लोगों की उपस्थिति में, वह 200 अलग-अलग प्रश्नों के उत्तर देंगे—वह भी सिर्फ एक बार सुनने के बाद। इसके साथ ही, वे एक ही समय में होने वाली कई घटनाओं को भी याद रखकर सही क्रम में बताएंगे।
न्यूरोसाइंस से आगे की स्मरण शक्ति
आयोजन के दौरान मुनिश्री ने बताया कि आज के न्यूरोसाइंस के अनुसार एक साधारण मनुष्य एक समय में केवल 5 से 10 चीजें ही याद रख पाता है। उससे अधिक चीजों को याद रखने में वह या तो भूल जाता है या सही क्रम से नहीं रख पाता। लेकिन मुनि श्री चंद्रप्रभ चंद्रसागर महाराज न केवल इस सीमा को पार करेंगे, बल्कि अपनी अद्भुत स्मरण शक्ति का प्रदर्शन कर हजारों लोगों को चमत्कृत करेंगे।
संयम और साधना से अर्जित अद्भुत शक्ति
मुनि श्री ने मात्र 16 वर्ष की आयु में संयम जीवन को अपनाया और आज, केवल 24 वर्ष की आयु में वे अपनी अध्यात्मिक और स्मरण शक्ति का अनुपम प्रदर्शन करने जा रहे हैं। यह आयोजन इस बात का प्रमाण होगा कि साधना और संयम से मनुष्य अपनी मानसिक सीमाओं को भी पार कर सकता है।
20 अक्टूबर को आयोजित यह महाशतावधान का कार्यक्रम न केवल रतलाम बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह आयोजन दिखाएगा कि कैसे अध्यात्म और साधना से मस्तिष्क की अनंत क्षमता को जाग्रत किया जा सकता है। आचार्य नयनचंद्र सागरजी महाराज की उपस्थिति में होने वाला यह कार्यक्रम स्मरण शक्ति और मानसिक संतुलन का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
यह आयोजन न केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा का संदेश लेकर आएगा।